झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत, कई घाय
झालावाड़, 25 जुलाई। राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से दर्दनाक हादसा हो गया। हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 से अधिक बच्चे घायल हुए हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा चल रही थी और बच्चे कक्षा में मौजूद थे। अचानक जर्जर छत भरभरा कर गिर गई और बच्चे मलबे में दब गए।
घटना के बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीण, शिक्षक और अभिभावक तुरंत मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कर दिया। जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें भी मौके पर पहुंचीं। JCB मशीनों की मदद से मलबा हटाया गया और बच्चों को बाहर निकाला गया। गंभीर रूप से घायल बच्चों को झालावाड़, कोटा और भीलवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
बच्चों ने पहले ही चेताया था मंत्री को
इस हादसे को और भी दर्दनाक बनाता है यह तथ्य कि घटना से ठीक 9 दिन पहले, 16 जुलाई को, कोटा के राजकीय विद्यालय के छात्रों ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को एक खुला पत्र लिखा था, जिसे दैनिक भास्कर ने 17 जुलाई के अंक में प्रकाशित किया। इस पत्र में बच्चों ने कहा था:
“शिक्षामंत्री जी! हम इन जर्जर स्कूलों में पढ़ें कैसे, डर लगता है। स्कूल की छतें टपकती हैं, दीवारों में दरारें हैं, टाइल्स गिरती हैं। प्लास्टर रोज़ टूटता है। हमें डर है कि कोई हादसा न हो जाए।”
बच्चों ने पत्र में यह भी लिखा था कि जब माता-पिता उन्हें स्कूल छोड़ते हैं तो उनके चेहरे पर डर साफ दिखता है। उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि फरवरी में एक बच्ची की टाइल गिरने से मौत हो चुकी है और कई जगहों पर दीवारें गिर चुकी हैं।
हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना को अत्यंत हृदयविदारक बताया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को घायल बच्चों के समुचित इलाज के निर्देश दिए गए हैं और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा, “ईश्वर दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा परिजनों को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति दें।”
राष्ट्रपति ने भी इस हादसे पर गहरा दुख जताया। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि यह समाचार अत्यंत दुखद है। मेरी प्रार्थना है कि ईश्वर शोक संतप्त परिवारों को संबल दें और घायल बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस दर्दनाक घटना को देखते हुए अपना भरतपुर और डीग का दो दिवसीय दौरा रद्द कर दिया और तुरंत झालावाड़ के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर लापरवाही का मामला है और इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाई जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सभी घायलों का इलाज सरकारी खर्च पर किया जाएगा।
इस बीच कांग्रेस नेता नरेश मीणा जब घटनास्थल पर जा रहे थे, तो प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया। नरेश मीणा ने कहा कि वे प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे और जहां कहा जाएगा वहीं रुक जाएंगे। “हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं,” उन्होंने कहा।
इस हादसे के बाद बड़ा सवाल प्रशासनिक लापरवाही पर उठ रहा है। सूत्रों के अनुसार, पीपलोदी स्कूल भवन की मरम्मत के लिए ₹4.28 करोड़ का बजट पहले ही स्वीकृत हो चुका था, लेकिन फाइल वित्त विभाग में अटकी रही और मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत काफी जर्जर हो चुकी थी और पहले भी कई बार छत से प्लास्टर और कंकड़ गिरते देखे गए थे। छात्रा रेखा ने बताया कि घटना के कुछ मिनट पहले ही छत से टुकड़े गिरने लगे थे लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
अब सरकार ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही सभी जिलों में सरकारी विद्यालयों की इमारतों की संरचनात्मक जांच (Structural Audit) कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
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